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बंगाल: पंचायत चुनाव में हिंसा पर केंद्र को रिपोर्ट सौंपने दिल्ली जाएंगे राज्यपाल सीवी आनंद बोस

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पंचायत चुनाव में हिंसा लेकिन रिपोर्ट सौंपने दिल्ली जा रहे हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। 8 जून 2023 को पंचायत चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ही बंगाल में हिंसा शुरू हो गई. हिंसा का यह दौर मतदान के दिन यानी 8 जुलाई 2023 तक चला. इस एक महीने में 37 लोगों की मौत हो गई. आधिकारिक तौर पर, चुनाव की पूर्व संध्या से चुनाव के अंत तक चुनावी हिंसा में 10 लोगों की मौत हो गई।

राज्यपाल ने हिंसा की निंदा की थी

बंगाल का राज्यपाल सीवी आनंद बोस चुनाव पूर्व हिंसा के दौरान हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा कर स्थिति का आकलन किया. उन्होंने बार-बार कहा कि लोकतंत्र में जीत और हार का फैसला बैलेट पेपर से होना चाहिए, गोलियों और बंदूकों से नहीं. लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. इसे लेकर राज्य की सत्ताधारी पार्टी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस की कड़ी आलोचना की. हालांकि, खबर है कि राज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर सकते हैं.

37 मौतों का जिम्मेदार कौन?

राज्य चुनाव आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की तारीख की घोषणा के बाद मतदान के दिन तक पश्चिम बंगाल में हिंसा का दौर जारी रहा. इस चुनाव ने राज्य भर में कई लोगों की जान ले ली और कई आजीविकाओं को नष्ट कर दिया। इस हिंसा के लिए सभी चुनावी पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं. अब सवाल ये है कि इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है. मरने वालों की संख्या अब 37 तक पहुंच गई है, जिससे सुचारू मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने में राज्य चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

8 जुलाई को 8 जिलों में 18 लोगों की मौत हो गयी

बताया जा रहा है कि शनिवार (जुलाई 8, 2023) को पश्चिम बंगाल के आठ जिलों में हिंसक झड़पों में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई, क्योंकि 20 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में बड़े पैमाने पर हिंसा, लूटपाट और धांधली हुई थी। केवल दो स्तरीय पंचायतों वाले दो पहाड़ी जिलों दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में मतदान शांतिपूर्ण रहा।

चुनावी हिंसा में 37 की मौत

शनिवार की हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है, जिससे मतदान के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में विफलता में राज्य चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। चुनाव आयोग शुरू में अतिरिक्त बलों की तैनाती के विचार के विरोध में था। यहां तक ​​कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी इसकी खिंचाई की।

2018 में 23 लोगों की मौत हुई

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे राज्य में जहां बूथ स्तर की हिंसा राजनीतिक संस्कृति में गहराई से व्याप्त है, चुनाव निगरानी अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सक्षम और गंभीर होना चाहिए था। आपको बता दें कि साल 2018 में हुए पंचायत चुनाव में पूरे बंगाल में 23 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से 12 की जान मतदान के दिन गई थी.

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