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जाति गणना पर हाईकोर्ट में मैराथन सुनवाई, लगातार चौथे दिन बिहार सरकार ने रखा अपना पक्ष

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पटना. राज्य सरकार द्वारा जाति गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई अधूरी रही. इस मामले पर कल 7 जुलाई 2023 को भी सुनवाई जारी रहेगी. इस मामले में दायर याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश केवी चंद्रन की पीठ सुनवाई कर रही है. गुरुवार को भी राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने अदालत के समक्ष पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि यह एक सर्वेक्षण है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों से संबंधित डेटा एकत्र करना है, जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के लिए किया जाना है।

जातीय सर्वेक्षण का लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है

उन्होंने कोर्ट को बताया कि शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के समय भी जाति संबंधी जानकारी दी जाती है. जातियाँ समाज का अंग हैं। उन्होंने कहा कि हर धर्म में अलग-अलग जातियां होती हैं. उन्होंने बताया कि इस सर्वे के दौरान किसी को भी कोई अनिवार्य जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जाति सर्वेक्षण का लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है. उन्होंने कहा कि इस तरह का सर्वे राज्य सरकार के अधीन है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सर्वे से किसी की निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है. महाधिवक्ता शाही ने कहा कि बहुत सारी सूचनाएं पहले से ही सार्वजनिक हैं.

राज्य सरकार पर आर्थिक सर्वेक्षण कराने का आरोप

इससे पहले हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति एवं आर्थिक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी. कोर्ट जानना चाहता था कि क्या जातियों के आधार पर जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना कानूनी बाध्यता है. कोर्ट ने यह भी पूछा था कि क्या यह अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं. यह भी जानना होगा कि क्या इससे निजता का उल्लंघन होगा. इससे पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार जाति और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. उन्होंने बताया कि सर्वे करने का यह अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. यह असंवैधानिक है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. इस मामले पर कल 7 जुलाई 2023 को भी सुनवाई जारी रहेगी.

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