पानी भरने के बाद इन बातों का रखें ध्यान
संकल्प के साथ सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से कांवर में जल भरने के बाद रास्ते में कांवर की शुद्धता बनाए रखने के लिए कांवरियों को कई नियमों का पालन करना पड़ता है। भक्त इसे पूरी तरह से निभाते हैं. स्कंद पुराण में वर्णित है कि जो स्त्री-पुरुष कंधे पर कांवर रखकर यात्रा पूरी करते हैं, उन्हें अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि सावन माह में लाखों की संख्या में कांवरिए कांवर लेकर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने आते हैं। आने के क्रम में कांवरियों को पूरे रास्ते बम के नाम से ही जाना जाता है और रास्ते में सभी लोग बोल बम का उच्चारण करते हैं।
बोल-बम बोलने से प्रसन्न होते हैं शिव
कांवडि़ए बम क्यों कहते हैं इसके पीछे एक कहानी है। ज्योतिषाचार्य प्रमोद श्रृंगारी बताते हैं कि जब राजा दक्ष के यज्ञ में माता सती ने अपना शरीर त्याग दिया था। उसके बाद भगवान भोले ने दक्ष की गर्दन काट दी थी, उसके बाद भगवान शंकर ने दक्ष को पुनर्जीवित करने के लिए राजा दक्ष के ऊपर बकरे का सिर लगा दिया था। दक्ष के मुख से निकली बकरे की वाणी शंकर को अत्यंत प्रिय थी, जिससे भगवान शंकर प्रसन्न हो गये। राजा दक्ष का घमंड चुराने पर भोले शंकर प्रसन्न हुए थे, खासकर बकरी की आवाज सुनकर, तभी से भक्त बम-बम हर-हर बम-बम का उच्चारण कर भगवान शंकर को प्रसन्न करते हैं। यही कारण है कि सुल्तानगंज से लेकर बाबा मंदिर तक ‘बोल-बम’ का नारा गूंजता है.
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