संताल समाज की ओर से आज झारखंड बंद बुलाया गया था, जिसका मिलाजुला असर देखने को मिला है. ओलचिकी हुल वैसी के आह्वान पर मंगलवार को झारखंड बंद का दुमका में मिलाजुला असर रहा. दुमका में एनएच-114ए और एनएच-133 पर चार जगहों पर बैसी समर्थकों ने बांस-बल्ला लगाकर सड़क जाम कर दिया. दूसरी ओर, समर्थकों ने आठ बजे से ही छोटा चापुड़िया रेल फाटक के पास बैनर लगाकर और दुमका-रामपुरहाट मुख्य मार्ग पर कजलादाहा मोड़ के पास बांस-बल्ला लगाकर दुमका-रामपुरहाट रेलवे लाइन को जाम कर दिया. इसके कारण 12:40 बजे पिनरगड़िया रेलवे स्टेशन पहुंचने वाली रामपुरहाट-जसीडीह पैसेंजर ट्रेन को रामपुरहाट में और 11:40 बजे पहुंचने वाली कविगुरु एक्सप्रेस ट्रेन को दुमका में रोक दिया गया.
झारखंड बांध
रेलवे ट्रैक जाम होने के कारण रामपुरहाट-जसीडीह एक्सप्रेस रामपुरहाट से 3 घंटे 27 मिनट की देरी से खुली, जबकि जमालपुर-हावड़ा कविगुरु एक्सप्रेस को करीब ढाई घंटे तक दुमका रेलवे स्टेशन पर रोकना पड़ा. रेलवे ट्रैक जाम करने की सूचना मिलते ही आरपीएफ इंस्पेक्टर हंसराज फोर्स के साथ पहुंच गये. उनके द्वारा जाम समर्थकों को समझाने के बाद पौने तीन बजे जाम समर्थकों ने रेलवे ट्रैक से बैनर आदि हटा दिये. उधर, दुमका रामपुरहाट मुख्य मार्ग पर कजलादाहा मोड़ पर सड़क जाम होने से दोनों तरफ वाहनों की कतार लग गयी.
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जाम समर्थकों ने बाइक भी रोक दी. पुलिस प्रशासन ने कांवरिया वाहनों को सरसडंगाल से बेनागड़िया चित्रगड़िया होते हुए रामपुरहाट की ओर भेजा, लेकिन कुछ कांवरिये जाम में फंस गये. सूचना मिलते ही सीओ राजू कमल, थाना प्रभारी निरीक्षक उमेश राम फोर्स के साथ पहुंच गये. सीओ व थाना प्रभारी के समझाने पर तीन बजे सड़क जाम हटाया गया. उधर, सरैयाहाट प्रखंड के एनएच 133 सड़क पर कोरदाहा गांव के पास समर्थकों ने सड़क जाम कर दिया.
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आंदोलन के दौरान भूख लगने पर महिला-पुरुषों को समिति की ओर से बीच सड़क पर खाना खिलाया और पानी पिलाया गया। इस दौरान सड़क के दोनों छोर पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी और यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. शाम चार बजे आंदोलनकारियों द्वारा जाम हटाने पर मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने जाम में फंसे वाहनों को एक-एक कर खुलवाया, जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली. आंदोलनकारियों के समर्थन में उतरे पटमदा जिला परिषद सदस्य प्रदीप बेसरा ने कहा कि संथाली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा देना होगा, स्कूल-कॉलेजों में संथाली शिक्षकों की बहाली करनी होगी और बच्चों की पढ़ाई को दुरुस्त करना होगा. प्रारंभ किया जाना है. वहीं समाज के दिवाकर टुडू ने कहा कि झारखंड में संताली अकादमी का गठन होना चाहिए और संताली भाषा की ओलचिकी लिपि में किताबें छपनी चाहिए.
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दो घंटे तक चले प्रदर्शन के कारण देवघर-गोड्डा मुख्य मार्ग पर करीब दो किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतार लग गयी. घंटों जाम से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यात्री बहुत परेशान हुए. थाना प्रभारी विनय कुमार, एसआई आनंद कुमार साह पुलिस बल के साथ जाम स्थल पर पहुंचे और करीब दो घंटे के समझाने-बुझाने के बाद जाम हटाया. मौके पर पूर्व मुखिया बुद्धिनाथ सोरेन, नरेश हांसदा, लालदेव हांसदा, निर्मल सोरेन, बलदेव मुर्मू, सुखलाल बास्की, उमेश हांसदा, सुंदर मुर्मू, देवलाल मुर्मू, दिलीप हांसदा समेत बड़ी संख्या में आदिवासी लोग मौजूद थे.
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झारखंड बंद के दौरान समर्थकों ने ओलचिकी हुल बैसी के बैनर तले कुरमाहाट और दुमका भागलपुर मुख्य मार्ग पर महादेवगढ़ तथा हंसडीहा गोड्डा राजमार्ग 133 पर बारीडीह के पास सड़क जाम कर दिया. प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर करीब तीन घंटे तक सड़क पर डटे रहे. इस जाम में सड़क के दोनों ओर छोटे-बड़े वाहनों की लंबी कतार लग गयी. इसी बीच हंसडीहा होते हुए भागलपुर जा रहे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन भी जाम में फंस गये. जाम में श्री हुसैन के काफिले को भी कुछ देर के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा. स्थानीय प्रशासन ने बीजेपी प्रवक्ता के काफिले को जाम से निकाला. जाम की सूचना पर सरैयाहाट प्रखंड विकास पदाधिकारी दयानंद जयसवाल, हंसडीहा थाना प्रभारी रोहित कुमार पुलिस बल के साथ जाम स्थल पर पहुंचे और जाम कर रहे समर्थकों को एक-एक कर समझा-बुझाकर जाम हटवाया.
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मंगलवार को झारखंड बंद के दौरान ओलचिकी हुल बैसी के बैनर तले पटमदा के बेलताड़ चौक पर संथाल समुदाय के महिला-पुरुषों ने संयुक्त रूप से पारंपरिक हथियार और ढोल नगाड़ा के साथ नाच-गाना किया. आंदोलनकारी सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक अपने अधिकार की मांग को लेकर सड़क पर डटे रहे. सैकड़ों की संख्या में संताल समुदाय के लोगों ने बेलटांड़ चौक परिसर की मुख्य सड़क को जाम कर दिया और झारखंड सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. सुरक्षा की दृष्टि से मौके पर मौजूद पटमदा सीओ चन्द्रशेखर तिवारी, मानगो सर्किल इंस्पेक्टर मोहन कुमार और थाना प्रभारी रंजीत कुमार सिंह के लगातार प्रयास के बावजूद आंदोलनकारी नहीं माने और उनका आंदोलन जारी रहा.
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