विशाल तिवारी की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एसआर भट्ट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ सुनवाई करेगी. इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. इस स्टेटस रिपोर्ट में यूपी सरकार ने भी अपना जवाब दाखिल किया है.
बताया गया है कि अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. मामले में कई गवाहों के बयान भी दर्ज किये गये हैं. इसके अलावा इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा दिए गए सुझावों के अनुपालन के बारे में भी जानकारी दी है. विकास दुबे के एनकाउंटर का.
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार से सवाल किया था कि पुलिस हिरासत में मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाते वक्त अतीक अहमद और अशरफ को मीडिया के सामने क्यों पेश किया गया. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी पूछा कि हत्यारों को दोनों को अस्पताल ले जाने की जानकारी कैसे मिली.
उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर लाइव दिखाई गई घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है। उत्तर प्रदेश पुलिस की एक विशेष जांच टीम भी इस मामले की जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को घटना और उसके बाद की स्थिति पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में उस घटना के संबंध में उठाए गए कदमों का भी खुलासा किया जाएगा जो संबंधित घटना से ठीक पहले हुई थी. साथ ही जस्टिस डॉ. बीएस चौहान आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक उठाए गए कदमों का भी खुलासा करना होगा।
आदेश में गैंगस्टर विकास दुबे के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने का जिक्र किया गया है. जुलाई 2020 में विकास दुबे और उसके साथियों ने कानपुर जिले के बिकरू गांव में घात लगाकर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या को अंजाम दिया था. बाद में मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार करने के बाद यूपी लाते समय विकास दुबे मुठभेड़ में मारा गया.
पुलिस के मुताबिक, विकास दुबे ने हिरासत से भागने की कोशिश की और इस दौरान वह मारा गया. पुलिस मुठभेड़ की सत्यता पर संदेह जताया गया. इस मामले में विकास दुबे की मुठभेड़ में हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस चौहान के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया गया था.
वहीं विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति के गठन की मांग की है. याचिका में 2017 से अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति बनाकर दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है.
साथ ही पुलिस हिरासत में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच की भी अपील की गई है. याचिका में कहा गया है कि पुलिस की ऐसी हरकतें लोकतंत्र और कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा हैं.
विशाल तिवारी की याचिका के अलावा अतीक और अशरफ की बहन आयशा नूरी ने भी हत्याकांड की जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आयशा नूरी ने याचिका में कहा है कि उनके दो भाइयों की हत्या में यूपी सरकार का हाथ है. यह राज्य प्रायोजित हत्या थी.
याचिका में आयशा नूरी ने अपने दोनों भाइयों की हिरासत में हत्या को न्यायेतर हत्या बताया है. याचिका में कहा गया है कि इस पूरी घटना की योजना उच्च स्तरीय सरकारी एजेंटों के माध्यम से बनाई गई थी. आयशा नूरी के मुताबिक उनके परिवार के सदस्यों को मारने की योजना बनाई गई थी. इसमें पुलिस अधिकारियों और यूपी सरकार का पूरा सहयोग मिला. याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रतिशोध के तहत उन्हें उसके परिवार के सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने की खुली छूट दी गई है।
(यूट्यूब https://www.youtube.com/watch?v=7uri5PvAkRQ)
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