अलीगढ़। भले ही यूपी के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में सुधार हो रहा है। लेकिन विदेशी छात्रों की संख्या घट रही है। पिछले 10 सालों में 20 से ज्यादा देशों के छात्रों ने दूरी बना ली है। जबकि 2013 के आंकड़ों के मुताबिक एएमयू में 36 देशों के छात्र पढ़ रहे थे। लेकिन साल दर साल घटते हुए अब सिर्फ 16 देशों के छात्र ही पढ़ रहे हैं। हालांकि तीन नए देशों के छात्रों ने भी हिस्सा लिया है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी छात्रों का रुझान बढ़ा है। यही वजह है कि दुनिया भर से बड़ी संख्या में छात्र यहां एडमिशन लेकर अपना भविष्य बनाने पहुंचे हैं।
20 से ज्यादा देशों के छात्रों ने बनाई दूरी
यहां ग्रेजुएशन से लेकर ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, मॉरीशस समेत अन्य देशों के छात्र रिसर्च करने आ चुके हैं। 2013-14 के आंकड़े देखें तो यूनिवर्सिटी में 36 देशों के छात्र पढ़ रहे थे। वहीं, 2022-23 के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 16 देशों के छात्र ही एएमयू में प्रवेश लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले 10 साल में 20 से ज्यादा देशों के छात्रों ने दाखिला नहीं लिया। हालांकि इसके पीछे एएमयू प्रशासन अलग-अलग तर्क दे रहा है। छात्रों की संख्या में कमी का कारण विदेशों में शिक्षा के साधनों में वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक संकट, निजी विश्वविद्यालयों की संख्या में वृद्धि, अपने ही देशों में प्रवेश के लिए छात्रों का आकर्षण आदि माना जाता है।
2013 में 36 देशों के छात्र पढ़ रहे थे
भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, इथियोपिया, मिस्र, जर्मन, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जॉर्डन, कजाकिस्तान, लीबिया, मॉरीशस, नाइजीरिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, सूडान, सोमालिया, सीरिया, थाईलैंड, तुर्किस्तान, तुर्की, यमन के छात्र यहां अध्ययन करने आए थे। हालांकि, जिन देशों में छात्रों की संख्या घटी है, उनमें ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, बांग्लादेश, भूटान, ब्रिटेन, कनाडा, मिस्र, जर्मन, जॉर्डन, कजाकिस्तान, मॉरीशस, नाइजीरिया, न्यूजीलैंड, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, सीरिया, तुर्किस्तान शामिल हैं। , तुर्की , शामिल हैं।
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अब 212 विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं
हालांकि, एएमयू में एक वक्त ऐसा भी था जब थाईलैंड के छात्रों की अपनी अलग दुनिया हुआ करती थी। थाईलैंड के छात्रों की भी अपनी जीवन शैली थी। ड्रेसिंग सेंस से लेकर गाड़ी चलाने तक में उनकी अपनी एक अलग पहचान हुआ करती थी। 2013 में इन छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा थी। लेकिन अब इनकी संख्या घटकर महज 17 रह गई है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की सिर्फ एक छात्रा ग्रेजुएशन कर रही है। एक तरफ जहां एएमयू में देशों की संख्या घटी है। छात्रों की संख्या में भी कमी आई है। 2013 में, 300 से अधिक विदेशी छात्र कैंपस में पढ़ रहे थे। उसके बाद साल 2019 में यह संख्या बढ़कर 500 से ज्यादा हो गई थी। लेकिन अब यह संख्या घटकर महज 212 रह गई है।
विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट
दूसरी ओर, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स सेल के सलाहकार प्रोफेसर अली नवाज जैदी ने कहा कि देश में कमी और विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या के कई कारण हैं। इसकी एक बड़ी वजह आर्थिक संकट है। इसके साथ ही अधिकांश देशों में शिक्षा के संसाधनों में वृद्धि हुई है। निजी संस्थान भी अपने देश में कम फीस में छात्रों को अच्छा मौका दे रहे हैं। कोविड समेत अन्य कारणों से विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आई है।
रिपोर्ट- आलोक सिंह अलीगढ़
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