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लखनऊ में 200 साल पुराना आम और बरगद का पेड़, ऊदा देवी ने इसी पेड़ पर चढ़कर 36 अंग्रेजों को मौत के घाट उतारा था

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लखनऊ। आज पूरा देश पर्यावरण दिवस मना रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इस दिन लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन अलग-अलग जगहों पर पेड़-पौधे भी लगाए जाते हैं ताकि हमारी आने वाली पीढि़यों को भविष्य में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। इस दिन स्कूल, कॉलेज, ऑफिस और कई संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम कर लोगों को जागरूक भी किया जाता है. हालांकि आज के औद्योगीकरण के दौर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई चिंता का विषय बन गई है। लेकिन, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज भी कुछ ऐसे पेड़ हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। हम बात कर रहे हैं लखनऊ के उन पेड़ों की जो सदियों से जिंदा हैं। यह एक ऐसा झाड़ है। जिसने आजादी की जंग भी देखी है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों ने अवध के नवाब वाजिद अली शाह को कलकत्ता निर्वासित कर दिया। इसके बाद बेगम हजरत महल ने विद्रोह की कमान संभाली।

यहां 36 अंग्रेज मारे गए थे

विद्रोह के दौरान चिनहट में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध हुआ। मक्का पासी समेत कई जवान शहीद हो गए। ऊदा देवी इसी मक्का पासी की पत्नी थीं। उन्होंने अंग्रेजों से मोर्चा भी लिया। 16 नवंबर, 1857 को उदा देवी ने सिकंदरबाग में इसी बरगद के पेड़ पर चढ़कर 36 अंग्रेजों का वध किया था। इसी बीच इसी पेड़ के पास गोली लगने से वह शहीद हो गई। स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी यह बरगद आज भी राजधानी लखनऊ के एनबीआरआई परिसर में मौजूद है। इसकी आयु 200 वर्ष से अधिक है। यह राज्य के 948 हेरिटेज पेड़ों में से एक है। लखनऊ में कुल 28 ऐसे हेरिटेज पेड़ हैं, जो वर्षों से हमारी जलवायु की रक्षा करते आ रहे हैं।

200 साल पुराना आम का पेड़

दूसरा ऐतिहासिक पेड़ काकोरी के हरदोई रोड पर दशहरी गांव में 1600 वर्ग फीट में फैला 200 साल पुराना आम का पेड़ है। इसे दशहरी आम का मदर प्लांट भी कहा जाता है। हालांकि इसके फल का आकार छोटा रहता है। अब भी हर साल इस पेड़ में आम लगते हैं। भले ही चार-पांच फल आ जाएं। मलिहाबाद का पूरा इलाका दशहरी के नाम से मशहूर है। 2.70 लाख हेक्टेयर में दशहरी आम के बाग हैं। इसी कड़ी में नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल पार्क में पारिजात के तीन पेड़ हेरिटेज पेड़ों की सूची में शामिल हैं. इसकी मान्यता एक देववृक्ष के रूप में है।

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चिड़ियाघर बनने से पहले ये पेड़ मौजूद थे

चिड़ियाघर बनने से पहले ये पेड़ मौजूद थे। इसके अलावा एक आरू का पेड़ है, जिसकी उम्र 10 साल से ज्यादा है। सबसे ज्यादा 12 हेरिटेज पेड़ कुकरैल क्षेत्र में हैं। मल्हौर रेंज में एक बरगद का पेड़ और विज्ञानपुरी भरवारा में तीन पीपल के पेड़ हैं। जिनकी उम्र 150 साल से ज्यादा है। हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायी आज भी यहां पूजा करते हैं। आलमबाग के खन्ना भट्टा स्थित बैकुंठ धाम में पीपल के पेड़ और मलिहाबाद के मांझी निक्रोजपुर में बरगद के पेड़ को हेरिटेज ट्री के रूप में चिन्हित किया गया है. मांझी निक्रोजपुर के बरगद के पेड़ की ऐतिहासिक मान्यता स्कंद पुराण में भी है। इसे मेघा नक्षत्र का वृक्ष माना जाता है। इसके अलावा बीकेटी के तिवारीपुर में पीपल के पेड़ की ऐतिहासिक मान्यता है।

(यूट्यूब https://www.youtube.com/watch?v=JmOBHN4tHNc)

लखनऊ में 200 साल पुराने आम और बरगद के पेड़ के बाद, ऊदा देवी ने इस पेड़ पर चढ़कर 36 अंग्रेजों को मार डाला था, जो सबसे पहले BLiTZ पर दिखाई दिया।

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